Wednesday, December 31, 2014

भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय परि‍चय एवं क्रि‍या‑कलाप


भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय , जो आम तौर पर आर.एन.आई. के नाम से जाना जाता है , पहली जुलाई 1956 को अस्‍ति‍त्‍व में आया ।� इसकी स्‍थापना प्रथम प्रेस आयोग 1953 की सि‍फारि‍श पर प्रेस एवं पुस्‍तक पंजीयन अधि‍नि‍यम 1867 में संशोधन करके की गई थी ।

प्रेस एवं पुस्‍तक पंजीयन अधि‍नि‍यम में भारतीय समाचारपत्रों के पंजीयक के कर्तव्‍यों और कार्यों को दि‍या गया है ।� पि‍छले कुछ वर्षों के दौरान भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक को सौंपे गए कुछ और दायि‍त्‍वों के कारण यह कार्यालय कुछ वि‍धि‍ वि‍हि‍त और कुछ सामान्‍य दोनों तरह के कार्य कर रहा है ।
वि‍धि‍ वि‍हि‍त कार्यों के अन्‍तर्गत नि‍म्‍नलि‍खि‍त आते है:‑

(1)��� देश भर में प्रकाशि‍त समाचारपत्रों का एक रजि‍स्‍टर तैयार करना , उसका रख रखाव करना और उसमें समाचारपत्रों का वि‍वरण संकलि‍त करना
(2)�� वैध घोषणा के अन्‍तर्गत प्रकाशि‍त समाचारपत्रों को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करना ,
(3)�� समाचारपत्रों के प्रकाशकों द्वारा प्रेस एवं पुस्‍तक पंजीयन अधि‍नि‍यम की धारा 19‑डी के अन्‍तर्गत प्रसारण स्‍वामि‍त्‍व , आदि‍ सूचना के साथ प्रति‍ वर्ष भेजे गए वार्षिक वि‍वरण की जांच और वि‍श्‍लेषण करना
(4)�� इच्‍छुक प्रकाशकों को घोषणा दायर करने के लि‍ए जि‍ला मजि‍स्‍ट्रेटों को उपलब्‍ध नामों की सूचना देना ,
(5)� यह सुनि‍श्‍चि‍त करना कि‍ समाचारपत्र प्रेस और पुस्‍तक पंजीयन अधि‍नि‍यम के प्रावधानों के अन्‍तर्गत प्रकाशि‍त कि‍ए जाते हैं ,
(6)�� प्रेस और पुस्‍तक पंजीयन अधि‍नि‍यम की धारा 19‑एफ के अन्‍तर्गत प्रकाशकों द्वारा अपने वार्षिक वि‍वरणों में दि‍ए गए प्रसार दावों की जांच करना ,और
(7)�� भारत में प्रेस के बारे में उपलब्‍ध समस्‍त सूचना तथा आंकड़ों और वि‍शेष रूप से प्रसार तथा समान स्‍वामि‍त्‍व वाली इकाइयों के क्षेत्र में उभरती प्रवृत्‍ति‍यों के उल्‍लेख के साथ एक रि‍पोर्ट तैयार करना और उसे प्रति‍ वर्ष 31 दि‍सम्‍बर को या उससे पहले सरकार को प्रस्‍तुत करना ।
सामान्‍य कार्यों के अन्‍तर्गत नि‍म्‍नलि‍खि‍त कार्य आते हैं;‑

(1)��� अखबारी कागज आबंटन नीति‍ और दि‍शा‑ नि‍र्देशों का क्रि‍यान्‍वयन और समाचारपत्रों का पात्रता प्रमाणपत्र जारी करना ताकि‍ वे अखबारी कागज का आयात कर सकें और हकदारी प्रमाणपत्र जारी करना ताकि‍ वे देशी अखबारी कागज प्राप्‍त कर सकें ।
(2)�� समाचारपत्र प्रति‍ष्‍ठानों की मुद्रण और कम्‍पोजिंग मशीनें और अन्‍य संबंधि‍त सामग्री आयात करने की आवश्‍यक जरूरतों को मूल्‍यांकि‍त और प्रमाणि‍त करना ।

Thursday, December 4, 2014

मीडिया की यह खासियत है कि परंपरागत मीडिया में जिनकी आवाज नहीं सुनी जाती, यहां उनकी भी आवाज सुनने का मौका सबको मिलता है।- प्रकाश जावड़ेकर

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वेब मीडिया की यह खासियत है कि परंपरागत मीडिया में जिनकी आवाज नहीं सुनी जाती, यहां उनकी भी आवाज सुनने का मौका सबको मिलता है।
जावड़ेकर ने उक्त विचार ‘वेब मीडिया की बढ़ती स्वीकार्यता’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में अपने वीडियो संदेश में व्यक्त किए। संगोष्ठी का आयोजन और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर (छग) द्वारा संचालित कबीर संचार अध्ययन शोधपीठ के संयुक्त तत्वावधान में 16 अक्टूबर 2014 को नई दिल्ली स्थित स्पीकर हॉल, कांस्टिट्यूशन क्लब में संपन्न हुआ।
 
उन्होंने कहा कि विचार केवल बुद्धिजीवियों के पास होता है और बाकियों के पास नहीं, इस बात को वेब मीडिया ने गलत साबित कर दिखाया है। वेब मीडिया पर लोग अधिक मौलिक विचार देते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोशल मीडिया पर विश्वास करते हैं और उन्होंने जब फर्ग्‍युसन कॉलेज, पुणे में भाषण दिया तो उन्होंने अपनी वेबसाइट पर शिक्षा के मुद्दे पर सुझाव मंगाए और 1600 से ज्यादा सुझाव आए। उनमें से जो 25-30 अच्छे सुझाव थे, उसको उन्होंने लोगों के सामने विचार के लिए रखा।
 
जावड़ेकर ने कहा कि वेबसाइट के संचालन में यह ध्यान देने वाली बात है कि गुणवत्‍ता बनाकर रखना चाहिए। कभी-कभी स्तरीय लेख नहीं होते हैं तो लोग उस साइट को देखना बंद कर देते हैं, यूजर्स को लगना चाहिए कि मैं प्रवक्ता डॉट कॉम पर जा रहा हूं तो मुझे कुछ न कुछ अच्छा पढ़ने को मिलेगा। 
 
उन्होंने प्रवक्ता डॉट कॉम को समाज का प्रवक्ता बताते हुए कहा कि इसने इंटरनेट पर एक खुला मंच उपलब्ध कराया। ‘प्रवक्ता’ जैसे मंच का महत्‍व है। लोग लिखते गए और अब 6 साल हो गए। अब यह एक संस्था बन गई। यह उसकी बड़ी सफलता है।
 
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि वेब मीडिया लोकतांत्रिक परंपरा का प्रतीक है, इसमें किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के विचारों पर कोई भी आम आदमी टिप्पणी कर सकता है, अपनी असहमति जाहिर कर सकता है। उन्‍होंने कहा कि वेब मीडिया के माध्यम से लोग सशक्त ढंग से अपनी आवाज उठा रहे हैं।
 
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रवक्ता डॉट कॉम के संरक्षक इंजी. अरुण कुमार जैन थे। कबीर संचार अध्ययन शोधपीठ के निदेशक डॉ. आर. बालशंकर ने बीज वक्तव्य दिया। साहित्य शिल्पी डॉट कॉम के संपादक राजीव रंजन प्रसाद ने वेब मीडिया के महत्‍व पर प्रकाश डाला।
 
वरिष्ठ लेखक एवं स्तंभकार ए. सूर्यप्रकाश ने तथ्यों के साथ अपनी बात रखी। आईआईएमसी के प्राध्यापक शिवाजी सरकार ने वेब मीडिया की विशेषताओं एवं चुनौतियों को रेखांकित किया।
 
कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रवक्ता डॉट कॉम के प्रबंध संपादक भारत भूषण ने दिया। प्रवक्ता सम्मान सत्र का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रवक्ता डॉट कॉम के संपादक संजीव कुमार सिन्हा ने किया। 
 
इस अवसर पर 11 लेखकों को ‘प्रवक्ता सम्मान’ से सम्मानित किया गया जिसमें पंडित सुरेश नीरव, अशोक गौतम, बीनू भटनागर, विजय कुमार, अविनाश वाचस्पति, गौतम चौधरी, शादाब जाफर ‘शादाब’, डॉ. सौरभ मालवीय, शारदा बनर्जी, हिमांशु शेखर एवं शिवानंद द्विवेदी ‘सहर’ के नाम उल्लेखनीय हैं।
 
इसके साथ प्रवक्ता डॉट कॉम द्वारा ‘वेब मीडिया की बढ़ती स्वीकार्यता’ विषय पर तृतीय लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें मुकेश कुमार को प्रथम, पीयूष द्विवेदी को द्वितीय और शिवेंदु राय को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 
इस कार्यक्रम में हिन्दुस्थान समाचार के मार्गदर्शक लक्ष्मीनारायण भाला, भाजपा साहित्य एवं प्रकाशन प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक अम्बाचरण वशिष्ठ, सहसंयोजक डॉ. अनुपम आलोक, जनसत्‍ता के पूर्व संपादक शंभूनाथ शुक्ल, स्तंभकार अवधेश कुमार सहित बड़ी संख्या में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं वेब मीडिया से जुड़े पत्रकार, ब्लॉगर्स एवं मीडिया के छात्र उपस्थित रहे।

Kailash Yadav nanded 'आप' ने टि्वटर के जरिए जुटाए 6 लाख रुपए से अधिक

नई दिल्ली। चंदा जुटाने की एक और अनोखी पहल के तहत इस बार 'आम आदमी पार्टी' ने ‘ऑनलाइन क्राउडसोर्सिंग’ के जरिए अपने खजाने में छह लाख रुपए से अधिक की राशि जमा की है।